अक़बर इलाहाबादी वाक्य
उच्चारण: [ akeber ilaahaabaadi ]
उदाहरण वाक्य
- अक़बर इलाहाबादी साहब किसी के परिचय के मुहताज नहीं।
- यही नहीं तुलसीदास ने अपने अमर महाकाव्य “रामचरित मानस” में बार-बार भक्ति रस और काव्य रस के समकक्ष आम्र-रस को बताया है, बल्कि आसन्न अतीत में अक़बर इलाहाबादी ने भी लिखा है-
- फलों का राजा आम भला आपको गर्मियों के अलावा किस मौसम में खाने को मिल सकता है? यही नहीं तुलसीदास ने अपने अमर महाकाव्य “ रामचरित मानस ” में बार-बार भक्ति रस और काव्य रस के समकक्ष आम्र-रस को बताया है, बल्कि आसन्न अतीत में अक़बर इलाहाबादी ने भी लिखा है-